बाल सुलभ सा रूप है ..…
बाल सुलभ सा रूप है, मोहक है मुस्कान |
राम लला में बसते हैं, हम भक्तन के प्राण |
सरयू तट पर भीड़ जुटी है, राम हैं आवन वाले
राम की धुन पर नाच रहा जग, मनवा तू भी गा ले
राम राज की करें कल्पना, पूरी होगी आस |
बाल सुलभ सा रूप है, मोहक है मुस्कान ।
माई अइहें लाड़ लड़इहें, तात लुटइहें गिन्नी
भरत शत्रुघन अइसे घूमिहें, जइसे चाकरघिन्नी
अवध नगरिया मा रंग बरसे, बरसे रंग गुलाल ।
बाल सुलभ सा रूप है, मोहक है मुस्कान ।
जनक दुलारी जग से प्यारी, के दिन फिर से बहुरे
अवध की पुरखिन सुमन बिछावे, पथ मा निहुरे निहुरे
आज सिया जी ससुरे अइहैं, जन जन गईहें गान ।
बाल सुलभ सा रूप है, मोहक है मुस्कान ।
उमा विश्वकर्मा