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  • काश!

    पुरुषोंकाश ! तुम जन्म ही न ले सकोऔर “स्त्री” तुम्हें जन्म देना ही बंद कर देसोचोअजन्मे रह करकहां भोगेगे विलासकैसे बुझा सकोगे शैतानी प्यासक्यों न कोख में ही तुम्हेंनष्ट कर दिया जाएया फिर जन्म लेते ही तुम्हेंउस सुख से वंचित कर दिया जाएजिस सुख से तुम समाधि तकपहुंचना चाहते होघिनौना पाश्विक कृत्य करते होया फिर तुमअमानवीय…

  • स्वतंत्रता दिवस

    वतन मेरा, वतन के हम, वतन पे जां निसार है ।धड़कनों में है वतन, हमें वतन से प्यार है । सुबह की रश्मियां मुकुट, सजाती देश के लिएभोर, घट में भर के स्वर्ण, लाती देश के लिएयुगों-युगों से सांझ केसरी श्रृंगार कर रहीनिशा जमीं पे चांदनी, बिछाती देश के लिए मां भारती पे शीश अपना,…

  • बाल सुलभ रूप

     बाल सुलभ सा रूप है ..… बाल सुलभ सा रूप है, मोहक है मुस्कान | राम लला में बसते हैं, हम भक्तन के प्राण | सरयू तट पर भीड़ जुटी है, राम हैं आवन वाले राम की धुन पर नाच रहा जग, मनवा तू भी गा ले राम राज की करें कल्पना, पूरी होगी आस…